छत्ते के अंदर का जीवन
छत्ते के अंदर का जीवन वर्ष के समय पर निर्भर करता है | मधुमक्खी अपने सारे संसाधन फूलों से प्राप्त करती है | इसी कारन मधुमक्खियों का जीवन चक्र फूलों के जीवन चक्र के सामान चलता है | प्रत्येक वसंत के मौसम में मधुमक्खियां अपने श्रमिकों की संख्या को फूलो के लिए तैयार करती है | गर्मी के मौसम में संसाधनों को इकठ्ठा करने में मधुमक्खियां सबसे ज्यादा सक्रिय होती है | पतझड़ में मधुमक्खियों की क्रिया कम हो जाती है क्योकि फूलो की संख्या कम रहती है | मधुमक्खियां ठण्ड के मौसम में बिना फूलो के शहद के ऊपर ज़िंदा रहती है जो वे बाकि मौसम में बना के रखती है | एक बड़ा छत्ता प्रभावशाली कार्य को प्रदर्शित करता है | युरोपियन मधुमक्खी (एपिस मेलीफेरा) यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका की सामान्य प्रजाति है जिनके छत्ते में ६०००० सदस्य तक हो सकते है |
क्या सारी मधुमक्खी मादा होती है ?
सारी मधुमक्खियां मादा नहीं होती | छत्ते में तीन प्रकार की मधुमक्खियां होती है : रानी मधुमक्खी, श्रमिक मधुमक्खी एवं ड्रोन मक्खी | रानी मक्खी एकमात्र मादा मधुमक्खी होती है जो प्रजनन करती है | श्रमिक मधुमक्खी भी मादा होती है और रानी मक्खी की संताने होती है | ड्रोन मक्खी नर होते है जो छत्ते के बहार जाकर अन्य रानी मक्खियों के साथ प्रजनन करते है जो नए छत्ते बनती है |
क्या रानी मक्खी का जीवन आरामदेह होता है?
मधुमक्खी के एक छत्ते में मात्र एक रानी मक्खी होती है और बाकि सारे सदस्य इसी रानी मक्खी की संताने होती है | रानी मधुमक्खी का उदर बड़े आकर का होता है और काफी श्रमिक मधुमक्खियां परिचारकों की तरह रानी मक्खी के इर्द गिर्द घूमती है इसलिए एक छत्ते में रानी मक्खी को पहचानना मुश्किल नहीं है | यदि एक छत्ते में दूसरी बाहरी रानी मक्खी आ भी गयी तो श्रमिक मक्खिया घुसपैठ रानी मक्खी को छत्ते से बाहर करने की कोशिश करेगी या दोनों रानी मक्खिया तब तक लड़ाई करेगी जब तक कोई एक ही रानी बचे |
रानी मधुमक्खी का प्राथमिक कार्य अंडे देना है | छत्ते में सदस्यों की संख्या अधिक बनाये रखने के लिए रानी मक्खी को औसतन १५०० अंडे एक दिन में देने होते है |
मधुमक्खी का जीवन काल एक अंडे से प्रारम्भ होता है जो लार्वा एवं फिर प्यूपा में बदल जाता है ठीक उसी तरह जैसे रेशम का कीड़ा पहले इल्ली के रूप में रहता है फिर कृमिकोष में बदल जाता है | इसके बाद प्यूपा की कायापलट एक वयस्क मधुमक्खी के रूप में हो जाती है जिसे हम सबने देखा ही है | लार्वा से वयस्क तक की अवस्था का यह सफर २१ दिन का समय लेता है |
श्रमिक मधुमक्खियां क्या करती है ?
समस्त श्रमिक मधुमक्खियां मादा होती है | इन श्रमिक मक्खियों का कार्य आयु के साथ बदलते रहता है ठीक उसी तरह जैसा हम करते है: हम बचपन की छोटी उम्र में घर पर रहते है, फिर पढाई के लिए स्कूल और कॉलेज जाते है और फिर नौकरी पर | श्रमिक मधुमक्खी किशोर अवस्था में छत्ते के अंदर का कार्य करती है जैसे रानी मधुमक्खी एवं लार्वा की देखभाली का काम | किशोर मक्खिया मोम ग्रंथि से मोम बनाने का कार्य भी करती है जो छत्ते के निर्माण में एक महत्वपूर्ण घटक है | प्रत्येक मधुमक्खी के कार्य की अवधि छत्ते की आवश्यकताओं पर निर्भर करती है | सामान्यत: कुछ हफ्ते छत्ते में अंदर के काम करने के बाद श्रमिक मक्खिया बाहरी कार्यो में जुट जाती है एवं बाहर की दुनिया में उड़ान भर्ती है | श्रमिक मधुमक्खी का अंतिम कर्त्तव्य भोजन ढूंढ कर लाने का होता है | इस भोजन ढूंढने वाली श्रमिक मक्खियों को 'फोरेजर' कहा जाता है जो छत्ते के लिए पराग, मकरंद एवं जल की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है |
वयस्क फोरेजर सामान्यत: ३० दिन तक भोजन लाने का कार्य करते है एवं उसके बाद उनका जीवन चक्र समाप्त हो जाता है इस तरह एक श्रमिक मधुमक्खी का जीवन करीब ५१ दिनों का होता है | भोजन ढूंढने का कार्य जोखिमपूर्ण होता है क्योकि छत्ते की बाहर की दुनिया में काफी खतरा होता है | छत्ते के बाहर मधुमक्खियों को परभक्षी खा सकते है, वे घर लौटने का रास्ता भटक सकती है, तूफ़ान में फंसने का खतरा भी होता है और वातावरण में बीमारी या कीटनाशकों की उपस्थिति | सर्दी के मौसम में मधुमक्खियां छत्ते में अंदर ही रहती है जहा तापमान बाहर की तुलना में गर्म होता है एवं इस तरह वह ६ महीनो से भी अधिक जीवित रहती है |
नर मधुमक्खी (ड्रोन) का जीवन
नर मधुमक्खियां ड्रोन कहलाती है जो बाकी मधुमक्खियों के विपरीत डंकविहीन होती है |
नर मधुमखियां वर्ष के सिर्फ कुछ ही महीने पायी जाती है | वे आँखों के असामान्य आकार के कारण थोड़े अजीब दिखते है क्योकि सिर का लगभग पूरा हिस्सा आँखों का ही होता है | ये बड़ी आकार की आँखे उड़ते वक़्त रानी मधुमक्खी को पहचानने के काम आती है | ड्रोन का एकमात्र कार्य अपने छत्ते की अनुवांशिकता को बढ़ाना है | ड्रोन प्रतिदिन छत्ते से निकल कर प्रजनन हेतु अन्य छत्तो की रानी मधुमक्खियों को खोजते है |
कभी-कभी मधुमक्खियां झुण्ड में क्यों दिखाई देती है?
क्या आपने कभी मधुमक्खियों का झुण्ड देखा है? जब एक छत्ते में क्षमता से अधिक मधुमक्खियां हो जाती है तो आधी मधुमक्खियां झुण्ड में नए घर की ओर निकल जाती है | इस प्रक्रिया में सबसे पहले क्षमता से अधिक वाले छत्ते में श्रमिक मधुमक्खियां विशेष इकाई का निर्माण करती है जिसमे से नयी रानी मक्खी निकलती है | यह नयी रानी मक्खी इस छत्ते का उत्तराधिकारी बन जाती है और अंडे देने के कार्य में लग जाती है | पुरानी उम्रदराज़ रानी मधुमक्खी आधे श्रमिकों को लेकर नए घर की ओर झुण्ड में निकल जाती है |
मधुमक्खियों के झुण्ड में पुरानी रानी एवं कुछ श्रमिक मधुमक्खियां होती है जो की नए घर की तलाश में होते है | रानी मधुमक्खी के नेतृत्व में यह झुण्ड एक जगह को चुनते है जो की सामान्यत: किसी पेड़ का तना या किसी इमारत का कोना होता है | सभी मधुमक्खियां एक दुसरे को पकड़ लेती है एवं उसी समय कुछ श्रमिक मधुमक्खियां जिन्हे स्कॉउट भी कहा जाता है वह आसपास के क्षेत्र का मुआयना करने निकल जाती है ताकि नए छत्ते के निर्माण के लिए अनुकूल जगह मिल सके | यदि आपको कभी झुण्ड में मधुमक्खियां दिखे तो डरने की कोई बात नहीं परन्तु उन्हें छेड़े नहीं | यह झुण्ड स्कॉउट के द्वारा बताये गए अनुकूल जगह पर थोड़े समय बाद चला जाता है |
छत्ते के बाहर का जीवन
अधिकांश मधुमक्खियां छत्ते के बाहर छत्ते के लिए उपयोगी संसाधनों की खोज में जाती है | मधुमक्खियां छत्ते के बाहर करीब २ किलोमीटर तक जाकर फूलों से पराग एवं मकरंद इक्कठा करके लाती है | मकरंद का उपयोग शहद बनाने में किया जाता है जो वयस्क मधुमक्खियां एवं बढ़ते हुए लार्वे के लिए ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है | पराग प्रोटीन का एक स्रोत है एवं इसका उपयोग लार्वा के भोजन में किया जाता है ताकि किशोर मधुमक्खियां बलवान होकर निकले | पराग एवं मकरंद के बदले मधुमक्खियां पौधो में परागण का कार्य करती है जिससे पौधे फल तथा बीजो का निर्माण कर पाते है |
मधुमक्खियां छत्ते को ठंडा रखने एवं पीने के पानी के लिए पानी इकठ्ठा करके भी लाती है | इस तरह कह सकते है की मधुमक्खियां पहले ऐसे जंतु थे जिन्होंने एयर कंडीशनिंग का अविष्कार किया | गर्मी के मौसम में मधुमक्खियां वाष्पशील शीतलन द्वारा छत्ते को ठंडा रखती है जिसमे वह अपने पंखो की सहायता से हवा को छत्ते के अंदर या बाहर करती है |
ग्रंथ सूची का विवरण:
- लेख: मधुमक्खी के छत्ते का जीवन
- लेखक: Dr. Biology
- प्रकाशक: Arizona State University School of Life Sciences Ask A Biologist
- साइट का नाम: ASU - Ask A Biologist
- प्रकाशित तिथि: 28 Mar, 2021
- प्रवेश की तारीख:
- संपर्क: https://askabiologist.asu.edu/hindi/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%96%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8
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Dr. Biology. (Sun, 03/28/2021 - 15:45). मधुमक्खी के छत्ते का जीवन. ASU - Ask A Biologist. Retrieved from https://askabiologist.asu.edu/hindi/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%96%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8
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Dr. Biology. "मधुमक्खी के छत्ते का जीवन". ASU - Ask A Biologist. 28 Mar 2021. https://askabiologist.asu.edu/hindi/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%96%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9B%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8
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